Book Title: Agam 21 Upang 10 Pushpika Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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| सोमा माहणी समणोवासिया जाया अभिगत जाव अप्पाणं भावेमाणी विहरति, तते णं ताओ सुव्वयाओ अज्जाओ अण्णदा कदाई बिभेलाओ संनिवेसाओ पडिनिक्खमंति, बहिया जणवयविहारं विहरंत, तते गं ताओ सुव्वयाओ अज्जाओ अण्णादा, कदायि पुव्वाणु० जाव विहरंति, तते णं सा सोमा माहणी इमीसे कहाए लद्धट्टा समाणी हट्टा० ण्हाया तहेव निग्गया जाव वंदड़ नमसइ ता धम्मं सोच्चा जाव नवरं टुकूडं आपुच्छामि तते णं पव्वयामि, अहासुहं०, तते णं सा सोमा माहणी सुव्वयं अज्जं वंदन नमसइ ता सुव्वयाणं अंतियाओ पडिनिक्खमइ ता जेणेव सए गिहे जेणेव रटुकूडे तेणेव उवा० ता करतलपरिग्गहियं० तहेव आपुच्छइ जाव पव्वइत्तए, अहासुहं देवाणुम्पिए! मा पडिबंधं०, तते गं टुकूडे विउलं असणं तहेव जाव पुव्वभवे सुभद्दा जाव अज्जा जाता ईरियासमिता जाव गुत्तबंभयारिणी, तते णं सा सोमा अजा सुव्वयाणं अज्जाणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिजड़ ता बहूहिं चउत्थछट्ठट्ठमदसमदुवालस जाव भावेमाणी बहूई वासाई सामण्णपरियागं पाउणति त्ता मासि याए संलेहणाए सद्धिं भत्ताइं अणसणाए छेदित्ता आलोइयपडिकंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो सामाणियदेवत्ताए उववज्जिहिति, तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं दो सागरोवमाइं ठिई पं०, तत्थ णं सोमस्सवि देवस्स दो सागरोवमाई ठिई प० से णं भंते! सोमे देवे तातो देवलोगाओ आउक्खएणं जाव चयं चहत्ता कहिं गच्छि हिति०?. गो० ! महाविदेहे वासे जाव अंतं काहिति एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अयमट्टे पं० । २६ ॥ बहुपुत्तिअज्झयणं १०-४ ॥
॥ श्रीपुफिया सूत्रं ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित

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