Book Title: Agam 10 Panhavagaranam Angsutt 10 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पहावागरणं-9914 कप्पिया केइत्य सचम्मका विगत्ता निर्मूलुलूण-कण्णोडणासिका छिण्णहत्यपादा असिकरकयतिकखकोत-परसु-प्पहारफालिया वासीसंतच्छितंगमंगा कलकलखारपरिसित्त-गाढ- हुज्झंतगत्ता कुंतागभिण्ण-जारिय-सब्बदेहा यिलोलंति महीतले विसूणियंगमंगा तत्य य विग-सुणग-सियालकाक-मजार-सरप-दीविय वियग्ध-सटूल-सीह-दप्पिय-खुहाभिभूतेहिं निजकालमणसिएहि धोरारसमाणभीमरूवेहिं अक्कमित्ता दढदाढागाढडककड़िय-सुतिक्खनहफालियउद्धेदेहा विच्छिप्पंते समंतओ विमुक्कसंधिबंधणा वियंगिमंगा कंक-कुरर-गिद्धा-घोरकट्टवायसगणेहि य पुणो खरथिरदढणक्ख-लोहतुंडेहिं ओवतित्ता पक्खाइय-तिखनखविरिखत्तजिब्भ -अंछियनयणनिद्दयोलुग्ग-विगतवयणा उक्कोसंता य उप्पयंता निपतंता ममता पुव्वकम्मोद-योधगता पछाणुसएण डज्झमाणा णिदंता पुरेकडाई कम्माई पावगाइं तहिं-तहिं तारि-साणि ओसण्णविकणाई दुक्खाइअनुमवित्ता ततो य आउक्खएणं उववष्टिया समाणा बहवे गच्छंति तिरियवसहि-दुक्खुत्तारं सुदारुणं जमण-परण-जरा-वाहि-परियट्टणारह जलपलखहचर-परोप्पर- विहिसणपयंचं इमं च जगपागडंवाका दुक्खं पावेति दीहकालं किं ते-सीउण्हतण्हखुहवेयण-अप्पडीकारअडविजप्पण - निवभउब्विग्गवास-जगणवधबंधण-तालणंकण-निदायण-अद्विभं-जण नासाभेय-प्पहार-दूमणछविच्छेयण-अभिओगपायण-कसंकुसार-निवाय-दमणाणि वाहणाणि य मायापिति विप्पयोगसोयपरिपीलणाणि य सत्यविग्गविसाभिघाय-गलगवलावलणमारणाणि य गलजालुञ्छिपणाणि पउलण-विकप्पणाणि य जावजीविगबंधणाणि पंजर-निरोहणाणि य तज्जूह-निद्धडणाणि घमणाणि दोहणाणि य कुडंड-गलबंधणाणि वाड-परिवारणाणि य पंकजलनिमन- णाणि वारिप्पवेसणाणिय ओवायणिभंगविसमणिवडण-दवग्गिजाल-दहणाइयाइं एवं ते दुक्ख- सय-संपलित्ता नरगाओ आगया इहं सावसेसकम्मा तिरिक्खपंचेदिएसु पावंति पावकारी कम्माणि पमाद-राग-दोसबहुसंचियाईअतीवअस्साय-कक्कसाइंभपर-मसग मछियाइएसु य जाई-कुलकोडिसयसहस्सेहि नवहिं चरिंदियाण तहिं तहिं चेव जप्मण-मरणाणि अनुमचंता कालं संखेजकं भमंति नेरइयस माणतिव्वदुक्खा फरिस-रसण-घाण-चक्खुसहिया तेव तेइंदिएस-कुंथ-पिपीलिका-अवधिकादिकेसु य जाती कुलकोडियसय-सहस्सेहिं अट्टहिं अनूणएहिं तेइंदियाण तर्हि-तहिं चेव जम्मणमरणाणि अनुहवंता कालं संखेजकं ममंति नेरइयसमाणतिव्यदुक्खा फरिस-रसण-घाण-संपउत्ता तहेच बेइंदिएसु-गंडूलय-जलुय-किमिय-चंदणगमादिएसुय जाती-कुलको-डिसयसहस्सेहिं सत्तहि अनूणएहिं बेइंदियाण तहि-तहिं चेव जपण-परणाणि अनुहवंता कालं संखेजकं ममंति नेरइय समाणतिव्यदुक्खा फरिस-रसण-संपउत्ता पत्ता एगिदियत्तणं पि य-पुढवि-जल-जलण-पारुयवणफति-सुहुम-बायरं च पनत्तपपनत्तं पत्तेयसरीरनामसाहारणं च पत्तेयसरी- रजीविएसु य तत्यविकालमसंखेमगंभमंति अनंतकालंच अनंतकाए फासिंदियमाव-संपउत्ता दुस्खसमृदयं इम अणिठं पावेति पुणो-पुणो तहि-तहिं चेव परभव-तरुगणगहणे कोद्दालकुलि- यदालण-सलिलमलण-खुंभण - 5मण - अनलानिल-विविहसत्यघट्टण-परोप्परामिहणण-मारणवि- राहणाणि य अकामकाई परप्पओगोदीरणाहि य कज्जप्पओयणेहि य पेस्सपसु-निमित्तं ओसहाहार- माइएहिं उक्खणण - उक्कत्यण - पयण कोट्टण - पीसण - पिट्टण-भज्जण-गालण-आमोडण-सडण-फुडणभंजण-छेयण-तकण-विहुँचण-पत्तझोडण-अग्गिदहणाइयाति एवं ते भवपरंपरादुक्ख- समणुबद्धा अडति संसार-बीहणकरे जीवा पाणाइवायनिरया अनंतकालंजेविय इह माणुसत्तणं आगया For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42