Book Title: Aeravat Chabi
Author(s): Kundanlal Jain
Publisher: Z_Jaganmohanlal_Pandit_Sadhuwad_Granth_012026.pdf

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Page 4
________________ 426 पं० जगन्मोहनलाल शास्त्री साधुवाद ग्रन्थ [ खण्ड प्रचुरता से प्रयोग किया जाता था। "हस्त्यायुर्वेद" नामक वैद्यक ग्रन्थ की रचना इस बात का द्योतक है कि भारतीय जन-जीवन में हाथी का कितना अधिक मूल्य एवं महत्व था। हस्ति-सेना भारतीय चतुरंग सेना का एक अभिन्न अंग थी, इसका भारतीय जीवन में इतना अधिक प्रचार-प्रसार हुआ कि यह 'चतुरंग' शब्द धीरे-धीरे "शतरंज" नाम से भारतीयों में मुखरित हो उठा जो बुद्धि और प्रतिभा का द्योतक एक सर्वश्रेष्ठ भारतीय खेल है। शतरंज खेल विशुद्ध भारतीय खेल है। धार्मिक दृष्टि से भी हाथी भारतीय जन समूह में अधिक पूज्य और आदरणीय माना जाता है / शिव और पार्वती के पुत्र गणेश जी गजानन और गजवक्त्र के नाम से पुकारे जाते हैं। गणेश जी का मुंह दीघं सुंड युक्त हस्तिमुख मुख है। गणेश जी स्वस्तिक की भांति कल्याणदायक और शुभ सूचक हैं / अतः हर मंगल कार्य के प्रारम्भ में सर्वप्रथम उनका ही पुण्य-स्मरण किया जाता है तथा स्वस्तिक चिह्न अंकित किया जाता है जिससे कार्य निर्विघ्न सम्पन्न हो। बौद्ध जातकों से ज्ञात होता है कि जब शिशु बुद्ध का गर्भावतरण हुआ था तो माता माया देवी ने स्वप्न में सफेद हाथी देखा था. जो योनि मार्ग से उनके गर्भ में प्रविष्ट हुआ और उसी ने बुद्ध का रूप धारण किया / माया के लिए गजलक्ष्मी शब्द का भी प्रयोग होता है। जो हाथी से ही जुड़ा हुआ लक्ष्मी का चित्र प्रायः दो हाथियों द्वारा मंगल-कलश संड द्वारा लेकर अभिषेक सा करता हआ दिखाया जाता है। जैन साहित्य में भी तीर्थङ्कर को माता तीर्थङ्कर के जन्म से पूर्व सोलह या चौदह स्वप्न देखती है जिनमें एक हाथी भी होता है और वही सफेद हाथी माता के मंह प्रविष्ट होता हआ दिखाया जाता है जिससे ज्ञात होता है कि तीर्थङ्कुर का गर्भावतरण हो चुका है। गजेन्द्र मोक्ष की कथा प्रायः सभी धर्मों के ग्रन्थों में किसी न किसी रूप में अवश्य पाई जाती है / जातकों में प्रयुक्त 'षड्दन्त' शब्द हाथी की विशालता का द्योतक है / जैनाचार्यों ने जम्बू-द्वीप को सात क्षेत्रों में विभाजित किया है, जिसके प्रथम क्षेत्र का नाम भरत और अन्तिम क्षेत्र का नाम ऐरावत दिया है, लगता है ऐरावत शब्द विशालता का सूचक है। इसीलिए क्षेत्र की विशालता को दिखाने के लिए ही ऐरावत का प्रयोग किया गया हो यहाँ और भरत क्षेत्र में उत्सपिणी और अवसपिणी काल का प्रभाव रहता है शेष पाँच क्षेत्रों में कालों का प्रभाव नहीं होता / भरत ऐरावत में कर्मभूमि होती है / हिमवन महाहिमवन आदि छः पर्वतों के आयताकार विस्तार से जम्बूद्वीप सात खण्डों में विभाजित होता है / अरब सागर में बम्बई के गेट वे ऑफ इण्डिया के पास समुद्र में हाथी गुफा (Elephanta caves) हस्ति गौरव की प्रतीक है जो बुद्धकालीन मानी जाती है। सम्राट खारवेल का उड़ीसा के खण्डगिरि उदयगिरि स्थित हाथी गुफा प्रस्तर लेख पुरातत्व की बहुमल्य धरोहर मानी जाती है। प्राचीन काल में हाथी प्रायः हर सम्पन्न व्यक्ति के घर की शोभा बढ़ाया करता था, राजा महाराजाओं के यहाँ तो सैकड़ों की संख्या में हुआ करते थे, पर अब इस विज्ञान के युग में जहाँ जेट विमान, टैंक, रोवर्ट का आविष्कार हो गया है वहाँ हाथी की उपयोगिता कम हो गई है। फिर भी पर्यापरण के सन्तुलन (Ecological Balance) एवं संरक्षण हेतु जंगली जीवन को प्रोत्साहित किया जा रहा है, इसलिए प्रतिवर्ष कर्नाटक राज्य में 'खेड़ा" का आयोजन किया जाता है जिसमें जंगली हाथियों को पकड़कर पालतू बनाया जाता है जिससे वे भारतीय जन-जीवन के लिए उपयोगी सिद्ध हों। इस तरह ऐरावत (हाथी) का भारतीय जन-जीवन में साहित्यिक, धार्मिक, आर्थिक, सास्कृतिक, पुरातत्त्वीय, ऐतिहासिक आदि अनेकों दृष्टियों से बड़ा भारी बहुमूल्य महत्त्व रहा है और आज भी विद्यमान है तथा भविष्य में भी इसका अस्तित्व ऐसा ही अक्षुण्ण बना रहे / ऐसी कामना है / इति शम् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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