Book Title: Abhidhan Vyutpatti Prakriya Kosh Part 01
Author(s): Purnachandravijay, Munichandravijay, Divyaratnavijay, Mahabodhivijay
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 354
________________ पृ. को. पक्ति अशुद्ध शुद्ध पृ. को. पंक्ति अशुद्ध शुद्ध अनेडोडपि कपुरुष. अनेडोऽपि एकपुरुष Mmmmmm (भूच्छाया) (भूच्छाय) अन्ध अन्ध (अन्धकारि) (अन्धकारि) २०० २००-महादेव ० मुहृदत मुहृद अच्चतम० अन्वतम "च्चान्ने “वान्ने अशनजीवनक, अशन, जीवनक, अन्यु अन्धु ३५ A १ - ~ ~ ~ - अन्तपुरे० अन्तःपुरे. ० च्यक्ष। ० श्यक्षः । अन्त्तक अन्तक ३२ A शीहि शीहि (यमराज) (यमराज) (१० परि.) १० (परि.) वर्धक वधक अन्तदृशा अन्तकृदशा अन्तर अन्तर इत्यर इत्यर अन्तरम अन्तरम् द्रमा हिरू, नानाक. हिम्क, नाना त्वाम रेण त्वामन्तरेण ३३ A कुखः” कुरवः” अन्तर्गत्य० अन्तर्गडत्य० अन्तद्धि अन्तर्द्धि मन्तद्धा मन्ता इत्यड़ । इत्यह। ‘गमन्तद्धि . निमन्तद्धिः । अन्तद्धार अन्तद्वार એ શાસ્ત્ર જાણનાર B८ नामन्तम नामन्तम २० 'अभ्यास 'अभ्यास' अन्तिक अन्तिक ३४ A५ १००२ पाशानु१००१ पा शानु ५२. अलुप अलुपू B १४ दृष्टयु० दृष्ट्यु तिमिर, (पन) निमिर अन्यतरत् अन्यतरद भिन्नत्वम, खे, भिन्नत्व, त्व, अन्यत् अन्यत् तम०- इतम०-- उतर: इतरः अन्यतरासू अन्यतरेयुस् अन्यभूत अन्यभूत् 'परभूत' परभत्' भर्ति पुण्या० भर्ति पुष्णा० अन्युन अन्यून अन्वच अन्वच वदा आन्वष्ट अन्विष्ट १४९२ वार 'वार' ~ ~ वंश ~ ३६ A - ~ m हक दक तीय तोय वार २० वार पडस साच्युः सन्द्राव प्रदाय [निशन साधुः सन्दाव प्रद्राव नशन ४४७ (दो.१०५) ३६ B Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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