Book Title: Aagam 34 NISHITH Moolam ev Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 5
________________ आगम (३४) “निशीथ” - छेदसूत्र-१ (मूल) ---------- उद्देश: [१] ---------- ------- मूल [१] --------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [३४], छेदसूत्र - [१] "निशीथ" मूलं प्रत सुत्राक दीप अनुक्रम श्रीनिशीथसूत्र भाष्ये पीठिकागायाः ४८६ प्रतिमाः १०'जे मिक्सू इत्यकम्म बरे करत वा साइजइ ५५१ राजे भिक्खू अगादाण कडेण वा कलिवेजना सलापारगाए वा संचालन संचालन सा. ५८६ ॥राजे० संबाहेज वा पलिमदेज वा संवाहतं वा पलिमरतं वा सा०1३1० तेण वा पएण या बसाए वा मानीएम या अभंगज वा मसेज बा अजगत मक्खन वा साजे कोण बालोवेण वा पामचष्मेण वाहाणेण वा सिणाणमा ज्योहि पावणेहि या उसड या परिषदेत वा उप. हत वा परिवहत पा सा1५1 जे. सीओदगपिपडेग वा उसिणोदयषियडेण वा उच्छोलेज वा पपोएज वा उच्छोलत वा परोक्त वा सा।जे. निच्छालेज या निच्छाांत वा १४९निशी ठेवमूत्र-स्तर मुनि दीपरागर अत्र उद्देशक: १ आरब्धः ~4Page Navigation
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