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________________ 930 डरकनाश्रयन इंका लाइव | सव्यजीवन बीदांमा। तद्याजन्ममरणाजरा व्याधिण्ड नीजे परिवर्तना कहती वली वली [तहमादिप्रवर्तित करीअर दटसरी घीजे ब । जिमा रहग्घ डिमाला वारश्परिवर्तन करवली वाली वल्लीसरी तिमए तिये वगतिमा) दिवलीवली जन्ममर व्याधिनपरिवर्तन बई। तघाजलचर लवर रक्चरहन परस्परमाहामादिविदिसा कहतांना नानकारिविनाशादन प्रपंचक हतांवि तारजेातियंचगतिन विषब पदवीमतिपाम तिहाइमकहती प्रत्यक्षचागलिजे कही म्प३| जगप्रकट निःकेवल सिद्धांतगम्पनघ। किं प्रत्यक्ष। जगमादिप्रकट एनं रकवाक बापुडाजीवप्राणवधकारक दीर्घकाललगा पाम दिवप्रनसहितादनांरककद किंते सदा खुदा व्याप अप्पड कारविजम्मा घिग्रवास जगाव बंधाताला कशानिवाय हिमसंज | नासालेदार विवियन व कसकसा निवा यद म वादा ३२
SR No.650035
Book TitlePrashna Vyakarana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages518
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_prashnavyakaran
File Size218 MB
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