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arcad एवईयात्तरीवितानामनदी तघाकलं बबालुयाक हतां कयंब नानुष्पाका रिवेलूते चलती पूजन। तवाजलियगुता प्रज्वलितगुफा कंदरा एवं सिवनादिकन विरु लाकहती । तद माहिं प्रक्षेपिनं । तघावली सिाक हतांत एहवकटशन कहती कंटकसहित एह विडु ग्रमिकठ शतदनी गतिएदव र विजेोयण कहता जो त्रिव। वृषलन तातश्लोह नीपरक दिमादव पंधिगमराफ गीजाश्व वादए अनेरान शधरणि पूजाश्व । एतलाप्रकार रिकीनक दर्घनाकर |तघाई गलिक दीपश्ए दवे विविधनाना! स्वायुध कहतीश ते शंकरी कदछ। किंकर तक बमुर। लोहमय घामसुंडिदष्ठिया रविशेष करकयक तो करवृत्ता शक्तिकतांत्रिशूला हल प्रसिद्ध गदा वासुदेवायुधसरीबी मुशल मंगला चकप्रसिया ॐ तक हितासाला तर बापाविशेष प्रसिघले वड ऊट लिंडमाला विशेष सलनाम्बविशेष सल क है तालाब लाला पहिसकहती।