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धर्मामा [डिटंग जसिया दादानंत विशेष पिछ कहतापां ॥ विषपतावतानीवनादेद घकी विष नीपन इंतिणि विषा तथा विषां कहताह त्रिदता वाल कद ती केसा एलान ईदेति कारण| जीव नई हिंसेतिदा। तघारसक दता मधुतेदन ई विषई गृघ। एतावता मधुग्र हिवाल | चमरमधु कर नागदन। दांत्रम जातिन विषपुरुषशते लोकम दिप्रसि छिलागीजांवा तथा ज्ञमी का प्रमुखश रीरनाdu कर कहतां उपकारते हनीप तावताना रडारवटा लिवाली प्राजीव नविणास अश्वाशरीर/तघान पकर पाषा टलावस्त्रादिकनपनि विपतमनमा हिंश्मनी जीवमादर नारीर सरककर शतघाई पगर माहरा विणास शाही जागा तेजावन दतिजी वाकन्द वा कृपण करू गानावां मायजावदेषीतला प्रीणदिया करने तथा बेंदी जीवन विवाद
परिमंड|| कहता वस्त्र इश्क हताश्रय विशेष परिमंडन विषा एतवानद्विजिहत गीलो कक्रमिराग करीव स्वरंग। शंखसी पन किरीटवल शस्त्रसूत्र करिव