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________________ श्रीजी गीदे नाटकी काया तथा लोकवशा कहतांज्ञातिनादिरिममा एदवा पुरुषचोरीकर। तमानाद्दादको कहती घायक ए इसी मनुष्यन मारक ग्रामघातक नाडिमलीग्राम दा तिम्रा पुरघातका नगरघातना करणाद्वारा पं विघातका वाटपाडा यावीवगकहता जेबाना श्रावी घरग्रामनगर बाच्न ती श्रीमद कहती जेपारका नालवासी धीरद । तिही लोकया वानिमित्रिनेकध नाती धिजा श्वाल एवा कर्मनाकरणाारती छ लदक दिय। तघा लघु दस्त्रसंप्रयुक्तकद ती हस्तलाघवी कला इंसहित एतावता इपिरिधनलाई जिमको नजाए तमाज्ञ यकुराकहतयातना ररका कह तीजमा मवी नारक्षपालघवाकोटवाला नम्रा स्त्रीवाराकहताजेस्त्रीन विप्रतारी धनलाई घवाजिदांतिदा २ श्राघवा स्त्रीजवारी करत स्त्रीवारातघा पुरुष वार शणिजय रिजय रिजाणिवा तथा संधिबया कहतजिषान्पाडीधनहर !गे विलेयाकहती गविबोडा तथा प्रधादर।। पनु गम। लमव्दार कहना जेनस्मृमिलान वि
SR No.650035
Book TitlePrashna Vyakarana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages518
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_prashnavyakaran
File Size218 MB
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