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________________ विधनानाप्रकारपाठांतर इंनि विभविविधप्रकार ज्यूलीकष्ट पाकर इंजेन्द्र ठकाजी विघातक यजतवचन लीकश्ज जाणिवनं । तित्रिविधानादषाड बम मनिकरी वचनिशंकरी काया दिन जे तेली के कनला पाकर इंतेक कुशल कद तां निपुणता अजाकहीनायी जया पघकीघणंदकडा लिया। कह तालीकोटी जे दनी यज्ञादियागम एतावता घाटी शास्त्र [णहार तया लीकषोट बंजे धर्म हिंसा मयात हननं विष नि रता तत्पर शतघावली लोकपोटीक घावानाक दिवा तदनविषसन्मुषघ रतिमांनत्र तघा बऊ प्रकार छलीकाघाट कार्य हिंसा मयकुरान मनमादिष्टघा तावता मावद्य व्यकरीश्मजा एम.ई एकार्यरुड जंकीधनं । एमा हरी खला में फल हरडेद मानशवली के हवा स्पकरते दाली काषा वान फल विपाका कर्मदेय (तदन स्वरूपाताचा महालयव धारं दिवाहन व फल विपाक कदमहालया विश्राम वेदना तो गवतां वि
SR No.650035
Book TitlePrashna Vyakarana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages518
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_prashnavyakaran
File Size218 MB
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