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नादिका तथा मित्र निांगस्फुरणादिक । एतलानां प्रतिघातदपि वानिमित्चिप्राणातिपात कर न जिमानपत्राम । इत्यादिवचनकद शतघाचली वचनकद त्रिवेदकरन मकडा एकून इंग्राममा तघा को ईकिणिही न नमन एवावचनय रपीडाका रकाबाल शतघावली साद्यवयनाबालिवानस्वरूप कसुदन मुहु नो लिन्ने त्रिजव दिसंती विविदंकरति नियमाणा पावाय एकम्मणाय अकुशला) आणणालिताणा लिय धम्म निर तालियाका तिरमता लियारदातियबागारं तमायालि यस्ता फल विदाग मारगाव हंति मद प्रयं विस्मामवियां दीदका लंब रकसंकडं नश्यतिरियो जाति। तेण यत्र लिए ममा वैधानमति मुख्य तिवस दिस र गया। व्याख्या वलीजेमृ घावादी जक दियई ने हवा मावद्यवचनाबाल शतक दशके मकद सूम हानी घासु सुबिना मानो द्यक्षादिका तघा लिनेोरुरुविदारच नफल्नादिक) ६०