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________________ अमियंजरमितिरकं मिजिम चिऊं पासेसु नटनापंजरमा पिंजरे घात्यासी दवसें | एहनो! स्पा नाव राजा रेजि हायजरें सीघा त्या अन जे ती वारेसी ने मदनवलाई तिवारें सीपंजराना जिवानौ उद्यम करे तितलैराट्य नासुन टपंजरा याषत् (सविऊगमा बामाले इह अनेक जीवधवादे षाय सहते देषी बाहता पंजरा मोहमद रहितथ कास प्राधिर दें। इसीय रिलो कमा सवि पास विष नेकजीवक दर्शना5: स्कपांम तादेषा आपलयेंत्यरूपी आपंजरमा दिवसेंसी हनी परें एतले गुरुनें जयदे चालें | तेसुखी थायै गुरुनो क्वन [ली श्री स्थूलन ने कस नगवन्ती नुम्हारुशि ष्य जोतिहारी सौ चारित्र पालीपा तो पावे। इमक हा चौमासानीच्यादेशले यदि । गय मोकली | एहवे पडवजी को वेस्पानघरे चित्रसालीयन मसिर सातिहा बैं विगइन आहारों को सवेस्पा नाकिया एक नाव शृंगारनिरूला विषय विरमी इड्रोदम एक मलमा हावा चारिवतनै विषे सरसुभटथ को स्पाप्रति बुकी सील त वा चासोक आया गुरुवंदन करें एस्वेत्रिशिष्य जज्वेस्थानकेरा उता तिर्लिंजिम गुरु वंद्यावरेयेरुला शिष्य ने कल । श्रवोडकर कारथूलनाव्यति वारेको। वो तर म क प्रसंसा की जानकर जईकन अरे इम यथाश्रुतसा नो सासा श्री धूल नइ माहात्मानें कलैः । तोकिस उंको इ यस नूतिविजयसूरिशिष्यसी गुफा वासी माहात्में नव यौनसांस लए निर्विवेक यलो जाविते वैसी गुफा वासी महात्मा लनड्नी प्रसंसा सोनली | मनरी सपोली
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
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