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उत्तराध्यय नपत्र १७
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निमिषामामाने मनुष्यली तीली देवंजना केंदसिं करें एवं जेहने जो वीकारना हाव नावादिरित्रसुन संगो एसमएफ स्साएं | जाई लोगंमिइ चिन जस्सएँयापरिणाया। कर्म तस्स सम्म दु एतुं जो निमेव मोजा ताजी वने पेक कर्म तेरी जातेविशेष संयमजीद / रुपअनुष्टानामा बुद्धिवंत सरावकारीरु जालना तव्यथा येनहा
मागदेषी थकी
चिनानोता दिविना चरित्र गवसए।९। कविरया एवम सिधारं चरतिजस्थ लिन मुलि मते सानें नमस्कार वो जे कार्यने पापकर्तव्यथानिवताविर आए असिधाराधाराऊ परिचालवानी परे ऽक्कख मुनिं समीवर पालापुरन गरे । सिगमालमंत्रानो पुत्र धूल बारेको डिसुवर्णनगद प्रापणा बानोमा सांजली विराग्यक मार्थसंतिगुरु कन अनुग्रहल्ये । ए के सी हनी गुफायें आदेशम जिरुषीस्वरे कमानेंविचाले काष्टर दिवे आदेश माग्यो अ नेथूलिन। पूर्वपरिचित ले हनिब६ को शत गृहांगले। आदे रामाग्यो चित्रसाली दूरहि ॥ १७ ॥ दानोति वारे रेंक सेवनले स्वान के रहितां खोजिहां साठी बारेको डिविश्वा वली तिसरा विषयजीव आण चौमासानि प्रतियावा गुरुवली कहे बैंक्तत्व विसया सियंजर मिलोयसियंजेर म मिति रकभि सिंहाउयजर गया। वसंतितवंजरेसा ६।२। विसजविषयराष्ट्रादिकते धर्मरुपी या सयर रहे दबे ने चिरुं दिशिसस बिऊंगमाबै
बजिसायनें बिलें
एवमादाय मे हवी | पं कन्या
गाथा तेनातिसाऊत स रति धन्य पुन्यवंत ते सात म्या । धीराधी तसंच रेजिमश्री धूल को शवस्थाने घरे जिए थन सर्व संसारमा