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________________ जीद निर्मल दियानोलीदीत रामनामनोआ सर्व मानवले करीअनिमाना लिन स्वनावें |परुमाल जीव एक था इस था प्राण लेवें धर्ममुलन करें। राजीव स्वारजे अनुत्स रूपलो 5 उत्तराध एलजीवधामस्म आरास यः १५२ अणुप्रकार पलो अनुत्सरुपले उदार जै वनमहया एवं लेते जावे किंऊण्यतमवया एलेजावे ल नाव मतो मासु कमालवणोषको ४२ मुले अन्तर तिबलकुल रूप तुला कुरा इजेम दयावतेोजेान आत्मायसय कतैनि स्सियत्तंऊलय(एफस्सियन्ते जीवे । सिम६रेसयन्ने अहम हालाइ नि वेवसावसचे पारहित एवं नाव सबै करीनासत्येंकरी नावना जे विमुनिर्मल | नावनी विसो प्रवर्त्ततो जीव । मदन उपारनें अध्यनमायनो ज्ञाननेंजियारजें जीव अरिहंतनाना यो तेजावे किंडलयति (ज्ञा वसजेल ज्ञाव विसो हिंसा विसोही वह माडी आराश्विनेच्छविप्रवृत्तै अरिहंतनाषित र तय राजगन्जी र परलोकनाथर 1 स्पर जवनागमनाच तेना उन्नत्तस्स ! धमास्स चारा लायाए जुहे । अस्तिव नरम रस राहण्याएव्म सत्ता पर लो रामकथा पस्नवमं गतिंकरल०पहिले हणादिकियाने रिसत्यते लें करी नगनजी स्फं उपार/प्रतितो सोहिलो पा क्रिया सत्य क्रियाक रिवाजीमा ऊपजावें क्रियासत्यें जीव करण ते अं किंडलयति कराएं (करल सचिंऊ‍ जेवमुमेवदेबोले तेहवोज काया कर किया | मनवचन कायाना योगे साइकलग ९५२ जुष्टाना दिकनें वक्त दो यतिकरण सच्छेव हमाल जो जावाई ताहाकारी या विसोगस संते जीवे किंऊ धम्मस्मच्यारह एलव वनस्पंउपारजे 12 धादि जर
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
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