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________________ मतीच्या दोन निव्ययासुमति उच्चार पासवन्न बेलजल सिंधंन वारिधायनिका सुमतिपाल्यांचऊ इसे नामी त्यतिर्थकरदेव पांच रूमतिक है । तथातिश्रोती तिथे करदेव करें। त्रिहो योगनिग्रहात त्रिलमन वचन का यनौ जोग व्यायारतेनानिग्रहानो करिव तिलें करी एन लैमननमिनोति वचन व्यापार बोलवे वचन गुप्तकायै । अनेकाथाना व्यापार एकर वैकायतिकहा। मृगापुत्र एव पं वसुमतित्रिणमुपति कहा। अनैकायानात्रिगुप्तनैविबैतत्परवै सतिर बाहिरिने तो कमिजूत विहे तिन देबान पर दें। अंतरंगतययथा। मल सलमुलोरिया । वित्ती संखेवरा कायक लेसो से ली। आया तो त्रयन सनत्यागदेश त सर्वत्र कीजै (तऊच्च्न सनऊ नोरताना वै कनो दर तात तोव्यु पोनरलनोदरता जिनकज्यु कादिकर दें जां लिहीन पुन अनेराने ते नावि समसेजमया लिवा | नाव तौ तवा- अधिक उपकरणादिक सावें । तगर नोदरता हो बेश्य ग्रहला 5क्तं जइउबगारे वरतंच हो: नगर स्तंही करणे जयजय परिहरतोति रायसेन। तो तो परिहारो यरिलो गो| इसावचन । ततोपश्च जयंजितचैवत नावावें । यत्यपरिजाने नवति इत्यथी नक्का या नोदनो दरिका | आपला सायरिहरे। जालि आमदार प्रमाण। बत्ती से करिकबलो त्यादि अि क्ततिक्षुषिजैौ समाझे सुकवलप्रभा लावतजालिम अव्याहारादिकने ॥/>प्रव्याहार १ अवधा २३ सागपातदेव किंचू | पुवाल से सोल सचिव संत एकतीस वलत ज रेजी आव कलसी मजधन्य मध्यमो ऋष्ट नेदतिन्नत्रिदिशि प्रव्याहारा नो दरिकायै । तत्र रलजघन्या दिक कै कवला सप्तक वलिसी ममयमा टिके उत्कृष्ट (एनवकवलतीच्या रेली (बारक कवलसीम त्रि विप्रहारनोदरिका / तत्रापिनव कवला जघन्यादिशादिक सीममध्यम वादन‍ उत्कृष्ट एवं रस कमल आरेजी सोलमा कवारं जीवनवासमा कवल सीमा होनो दरिका [8] तन्त्राणी सतर कवलजघन्या सीमहिलाएन। दरिका ||तत्रापियाहकच लाज धन्यच ईशकवल मध्यमा सलबलष्ट एवं सतरना ★ नीचलानी नोटबें कबल
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
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