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उत्तराध्यय एतलैस्योजा वस्तमात्रन बाधवै नियरी ही नकही। जोते एक परिमोहन खान करैत निष्यरिवायैय नमः ९९७ दसजेहनीतीश्वस्त ऊपर करीत विवरु थाइक रविनयरिग्रहनौ पाप लाग अनुदृष्ट जोबा गयो। ताजिम एक गोबेनाईऊता। एकवारल नाहीयेष्टमा प्रथम घटि तसैनदीनौ पूर्व महिंसो नयां नयौदा के तिहांथ की बूटी मातेच्या उनिह लोथये। मुषे एहवीलविलाजी | जो की इबोला वैति तेनावरमार्थ को इनल है। बैनेये एकदिवसेव मागलैनात के लाइक दिसाडाडामा रादिके मर्दन कर स कही तिसोच लीग्जलीनी मूर्खाकी महिलायो को ईबो एक है कोई तेहाजवैयैव दमर्दन करते नै साजाही ॥ इमजे बताती व स्लेमी सरे ते ग जिसे ते दुर्गतिजाये। न्मने ब्यादिक ते वस्तुपरिनिर्माहियला विरिग्रहादिकन पावन लागे तिमात हामतिनेंमेविक दिसरी रादिक ति ममतारहितय परिग्रहनीया लागे ना लागे। एयांचा व्रत पंजाबना करी जा व्यामराया ज्याऊंतान कही एकाने मोसाधन नयां व रोया व्यामोह येश्युजाव इसि परिपंच नानासहित चारु रित्र कसै दिवैपंच सुमतित्रिगुप्तिनौस्वरुपक है । मृगापुत्र दाम दिसावें उत्तर गुचारित्ररूप कहेंनें अथ पंचसुमति गुप्तित्रय पवित्रते चरित्रं सम्परुचारित्र मित्या ऊर्मुनिर्युगा
सुमति प्रीतेहेकरनि (जेमा हा त्याचारित्रवेश व्यापार ते सम्पक्सचा रित्रमित्यादि । नियुंग व ऊषा स्वरे सवेना १९७ रित्रक्सौ जिम सि मोहिक दिऊबै तिसार रुलाये हवा बोल वारदिवादिकव्यापारकरें | तेसुमतिकाये सुनाने व्यापारथका जेनिक संवरि ते तुझीक दायै । समतिषुप्तिना नमक है ।। श्याषेण दाना निकेयाखर्गसंज्ञका पंचाऊ सुमतितिश्रो पुष्टि त्रियोग निहाय सुमतिना मासुमती एमयासु