SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 213
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लांजाइ कर्डल बीरोतीरा मारुरुपितामुळ संदेवता शच्या चित्रक पितायें व्यावकन धर्म पडवृज्य मामरयोविप्रानिक महद्धिक देवतातिचित्रक तानाजी वदेवतानो आयुयाली विवाद पर्वत महितो र पुरनगर हर क्ति राजानी पुत्री कनकमालाइ सेना तरी एकदा प्राह रुप देवी व्यामो लगे वासव विद्याधरें वहां ते या वासकरी पालन अथे चोरनी परे ऐनाईकनक तेज तो आवासरवर जू कत एहवें या बिलान वनौयतादेव श्चरे जात्राक रिवाजा ताऊं तातिदीव कोइयादितवें शुकने मृत्युरुपकिही। स्वैहनशक्ति राग्यऊयना पितायें दिकालिीएत ऋषिच्यागलिक । एमाहरी पुत्र ऊएस वादा लेवानी पूर्व लिकर नोषिता एकही र लो। एतदें साझ करें। देवता तो महंतनयुगा जव सांजली कनें जातिस्मनौ पूर्वज नदी है। देवता प्रतेक समाहराजर अवतार किसा देवतायें कले देवलो कथा चरिदेवनं पुरे दृढ सिंह राजानो पुत्र सिंह राजा नैतिहनि प्राप्त एलिटांड येतिरुजली ॐ र विविहार क्रमका से मोहबंध देवता मुने सर्व पूरे ते पितानें प्रसादै ऊंसु बैंकाल अतिक्रमुं । एवै प्राजस्वामी मानौ तालियो। यो उमदा मन वचन कायामा प्रमोद उपनो। देवता तीर्थजात्रात ते ति लकी बिज वैदेवतायैपुत्रीने युग्रो एक आजमावतान निलां देवतायेथ वाचक एव देिवता आव्योरा जाती ऊनौथयो किं न्याक स्वामी पूर्ववनावर एहनैयांली ग्रहण की मी प्रहारादिके करीब मान काप राजा येंक लें दिवें ॐ मारे जा नगर न्यु देिवतायेबला रै राजामा सदिवस राज्य देवता अनेक विद्यार्थी प्रज्ञाविद्यानै अनुजा राजानें विमान बेसारी कनक मालासहित निरंतर दिवस चोथे पांच नगरनी स्थान देते। आकासमार्गे मुकबधपुरे वीरक्षाकरि
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy