SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 204
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ यनः श्वे२ उत्तराध्य तायससाधें जशे वस्ती सली मुका कलयती या गेवल्या तिथी सती देत् पुरनलीनी कली | मारमेसार्गरीयस एलेस्तीतिपुत्र प्रसन्न कोटी दधिवाहन राजाना धनी नामांकितमु) का घाती वस्त्रसुंबा लकवा टीतला स्त्रानरिवाइतलेचं नंदे आपले गोरूनि आयो। अवको एड्सौनां मदीक्षे तिस-या दी जो देत लक कोइलेग रित्रले साधक रहे। इमारें अगला प्रतिलेषण विमनित्य दारुसाच वेंचि अपत्य नास्त्रे ॥ बालक माने जाली तिनें मोदिकादिक देइन करैति बालकां चवर सरोथय। मातंग नात्र माहिर मे । इम है उस गलामा सेवक | ॐ उमारोवार | मुकनेंकर लीकरकंद्र ओ को इस आविले बाल करें रिबाउ मजे ते बी जाया है बाज बिलात रेयनायलि जूले बी जानें वस्त मनचिंत तेनाध्यो। अनेन एकरीरी मनेराने ववरावे लघु शिष्य साकप्रतेक वजन ब्राएल अनेकरकं बिऊं जणांस ली। मूल तौ हवाद करता राजनवने गया | २४कारी ऐं ते दनाश्चनसांनलि | साहि कंभू समसा मजे ब्राम्हणने दे जे श्मकीकडेनं ज्यो । उद्रामलमा पा मंदिर है नासी कंचनपुरे गयौ । तस्यै करकं स्तौतिहांनावन॥ तिहनौर पुत्र मंत्रि तिथको व्यसिगारा करके राज्यानिषेक करिनगरमा दियो । तिसें म्हण आमाकिरिचल्या तितलैवं कासा थिली तिने प्रहार शहनावा राज्य कर के थाप्यो दधिवाह पुत्रेण राजाने करके मुना वाट दिहचिंतान लाप्रावः नकथा सूच्याचं मला म्हणaile स्थितिले ब्राम्हणचं पादे शनौ गंगम एक मां जायतिने कस मोतिवातसासलि राजारी सांळी गांमनायें। वे करके सर्व बाबूढी दधिवादननी नामाकृत मुकादेषा डॉ प्रबैद्धिवान ने जाधव क ले तिस्यै सवि के ग्लवी राजा बेतिगर्जकिलां। साधनायेक कटकले या मोठे तता द्र पुत्र श्मसान लिराजा सपरवार सामाच्या योग्यणो राज्यपुत्र ने देश मो उरो नाकुलमें राजा दोस्थेति त्यो यिनैदि निस सैतिरुवेकर करके भुज कने राज्य होईतोए एलेकर के
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy