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________________ wwwww हिलाबारे धनुष स्तर इग्यारमोचक्रवत्तजय तयक परिसहसहा (कमक्रिय कर (मोठ्य मोसा वनमालके राजा दशाननतेसा आजचेत्य वंदन करा सिंघा गवंत वाजेना कि ही वांद्यांन wwwwwww उत्तराध्य राजगृहनगरी समुद्रविजयराजा। विधाएं चउदस्वः युनः श्वेर नोमनु ति नानाविधोग बांदी (राज्यू बी दिदा लाभ |83|दसा पुरनग राति हादशा एनिमेशन तिहा गमननी वादी प्रतिहर्षासन थी ऊती उत्तरासणक सनबेसी (वनपालक नैवादी तिवारबीरा जाये हम ए हो गई धारी। सहिरमै यड हदिराव्यो। सर्वशृंगारकरी जगवंत ने वांद सजथाज्य अलंकार यह कल गजाश्वरथसं-स्वी गजधै बेसी तेवर सहित पुरबाहिमा देषा वननीरु छत्र‍ समृतिल तो। समोसाद कडी या त्रिप्रादेनिग वेतन रांदा यथा स्थान के वें सें । इस प्रस्तावै सौ विज्ञांने जो यो जानौ चितमति जालो अशनंवनश्वर व्यास्तो जिननक्ते अथिरकूद्दिथिरकरे नै पिएनो मानवता खो जिनदर्शन जावत आयुक्ति सारून ति करी दिवाति बारे ऐरावण इसीजे हवा चैव सहस्त्र हस्तिकाए के का हस्तिने तर मुनें शिर्वत्रि को मिला सलाम सहसा हस्ती मुषकी के यावदेत्सलात न संध्या को २ला ४४ सहश्रएके दांते ८वाविते रुजला संव्या । बिसेन तरकी मित्र (लाव २ कमल तिनी संख्या सोले से सत्ता त्तर को डि (७२ ला सह कला नी संव्यासको डा ७७ लिंबसनोतरकोडि७२ सहश्रनाटकसंख्या यांच को मिलाष बित्तर (लासा ऐ के की कलिका ऊपरिप्रसादत्ति ह लाग सालि रूप से व्यम तेरेस स मिच्या १२० को डिल | सेब त्रास कोडा कोडि २७ लाब को रिको मिस हसाए कसोवासको डि एग्ला नाटिक जो तो मे विस्तारी दशपुरनगरसमीप दतीच्यायो हस्ती व्रतोतिल कार गजाय पद सेना तीथाइम लोकमा हैविष्यात दर्शना जाये। इतली देवीगर्भरिदिऊस मो सरणमें चितवै । ऐस श्वेश
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
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