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________________ देवनाथन याबलाज | केतला यास देवलोक तिनसनीपुर विमानते ८९क विमाननावर बैकारपुर हवे न देवलोकन उत्तराध्यदेवासविशालपुरेली के ईश्या एमविमालवासी पुरेपुरा तस्यारनामे | खाए समिकर यनयः ८० रमलीक दी। वो तात्र एपाईने लक्ष्त्रीयादिकते नै दिने केटी व्यातिजे उद्वेगम्यासंसार जीवाजो निमोहिन मिनाज की जो रामना ताकारी Q गते राजन्मम्मा मुराक एलं ऊले सद्‌गेयतेय्य स्या। निइल से सास्तयाज हाथ नि पुरुषवेदयमा कुमार ने ऊपर रोहित नमुना मतिनी यश एह वेंनीको वा कला नेपालीकर मैना स्था ઊનીતું मल प्रागकुमार दो चि । पुरोहित तस्स जसा ययत्री। विसाल कि। देवपहरोशी जीवेरितमार्गयां जन्मजरामर / संसारथी बाहिर जे विहारमो - एशियें करी परान स्थानक ते प्रि लोयर म्मेस कैम्प से ज्ञानदर्शनचारित्ररूपात शर लिदमयं मरण्य बन्ना | रेषु कारहवें नामै राजा | जानाजवन कमला सीयत हो यारो राच्चदेव मलाया | जाईजरामधूच्या सितया । बहिविहारा तिन वि चित्तजेले | संसारमारगतिरूपी वनमिते ना देवाने साऽथवा मोक्षनावयरी जानें। काविद्यायेम खाते व निनामा कचित्ता। संसास्वक्रम्स विप्रो रक हो | दणते काम मुले विरता |४| पियमुत्तगादोन्हविमाहरण जनाजाना अनअध्यापनादीनप्रति सारी दिकाल नीतिलेामहांनें नि तिमरु समावनी यांसारहितत तेपुरोहित ग्रह एषट्कर्मविजानादिकन ऊमरवले जातिजन्मपाबलु संयमयात्पतिसेन रस सकसीलस्म युरो दियरस ( सरियोरा लियतच्चजाइतहास विलत व संजमंच पतिकोम कमलोग विवेग ते केशमनुष्यानं देवतामातेनें मनी अनिलामा बाजेलाऊपनी रुचि पिताप्रत आबनिए। विषे च्यानलिका) करता श्रजिह जोगे असजमाणा माणस एसुजेयाविद ।। मो खालिक बीप्रतिजा यस हातात (उदा गम्म Ga
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
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