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________________ श्रीगोस्वामी नाव देवी वांदा चामल में गगोतम तदा काले सास्तवते यांचसंग्रंथप्रामरी का उत्तराध्यय घयन दतेरी कायन सांजली कवि दिया महिय सम्यक्कतदा काले तिले नपत्र ५०॥ उपाज्य सर्व आय करीमरी पूर्वपर श्री वज्र स्वामी ऊमा बाजे दिन प्रातें समये पुनरपी चोदा सजनव खरवादी को तमस्वामी तासनेंदूकडामा या तापसे वादा दवान योगसान करीझनें दिया गोतम स्वामी जोग्य जागी वन रेसे तानने दी व्यादी घी वारणानेव सरे किसिम्हनें बैं तिरुमारी आंत्र कंदमूलसेवाल अज्ञानतयें करी देऊनोजन लाजै तो मनोवांबित कोइन मानसा चिंता वरमान तो जनमतस्वं मात्र प्रतिलेषण करावे वास्तानिंसमाने वि बैंको कोटेक घरे पर माननी नौ बतिस्तावें गोतम तेस्लें घरे श्राव्यातिक एंबीय आपल्योन्य मानतो नासहित गोतमनेंषी बॉत नहरायो। फाली वैदराबादयावतादेवीतेशिष्य चितवे जे बीरघोडी टी तो नहायाये । प्रथवा अवंति मदमात्मात चिंतदें। पारणा करवानी गोतमेंशादी भी माफल फिर वेळा पहिला माल सीलदिति नावे जासीमा पुलों बाहिर नकाटे तो लगे यात्र वासुंनथायेतेस ग लाइने प्रवचामृतस्य सिवाला दीपसा या करतां गोतम नपुण अनुमोदता बारती लक्ष्देषी मुक्त ध्यानध्याव ताकि वलज्ञान कपनो जिबि 34 वासे यार लोक रता दिन्न आदि पावसेको तर गोतम साथै तो श्मचिंत वेजे हुने सोलटियात्र शिष्य वैनिहरु कि सौ से विद्यासतां ध्यानध्याव केवलहान नोजिएकउपवासना पारकर कोहिन्न तास समवसरणदेषी । श्रासदिसनानी नसा चली। केवल उपनयन रेसें ताम्रो तरखौतम साथ समो सरल दोली प्रमदिकेवलाना सनायै जावा लागा तिवारैगौतमको सेवा ली दो तिवारे जग सगोतम केवलानी- मासातना प्रकरैति वारे गोतमग्मामा जगवंत जे दिशा देऊं के वजाय दिनेके चलनऊपजे तिवारें गवंतेक सोता हरे मुकऊपरमो हराम है। तिल समोरुनाकर्म यवै यु के वलन उपजे जिरुनो कार H
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
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