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पतीयवर संघातेंबिनें उपवास करी शुरू फलमूलजहार करें | नीजमिबलाये चढी यो। २३ सेवा जकुलयति त्रिि उपवासने वार शुक्का सेवाल आहार त्रीजी मेषलाई चढाये तित्रिलिक लपती ऊपरिचठिवाने आ सक तिरसाबै तिलें प्रस्ताव श्री गौतमस्वाम||मूर्भिवंत कल्पर जिसो एप एस होवें तो उचित सवावयवका या कांति करि दीसों दा एदिसेविवकासतों तापस सगला गौतमनें देवी चितवैतवें करी काया सोबत कधी तीचटीन सकता। एसो उपचितदेह करी यथा को लोग से भारती एकिसी परे चढ स्पै। इम ति त्रिॐ सप्रदाय विमासतांगो गणनायक रविकिरलालंबी करी । अष्टापदे च देवी माविस्मयउप चिंता वालागा जो कि मी पावलतौ प्रस्ला आगलियाव स्पैति झेस्ना शिष्य हे सुं। एन लेंगोतम् स्वामी अष्टापद्यत परिचदा जिसकी रचना देवें बै जिवारे-नरतें सर्वक्र भिनिन्न इसे नार प्रदेस दीसे वैति सिंहनिषद्या सैनामै प्रसाद बैौ । अशपदते आयोजन नौ प्रमंगल पर्वत रुपम या प्रत्येक एके कयोजन प्रातरुय्यमय प्रत्ये सोपाननलीये यावी यांरा तेवत परिश्रासरतेश्व रप्रसाद सबै तेनेगलयविच्यार गाऊ लां बय त्रिलगाउञ्चय । च्यार बार चिऊ दिसेते ललिम्यूरलजतिपीठिका सुवर्णमय स्पेन पूल जीतना रंजक सामल सारज प्रताका वर्णमानो येतप्रमांणोपेतमालावतते प्रसाद्देषी हऊन पूर्वक्षर संस्किन जिन (एबेई तिथे करनें नमस्कारकरै। दक्षिण नव अभिनंदनमल अपनायारने गंदानं पविमारसंस्टि तानसुबा राशीतल श्रेयांसवास पूज्य विमल अमनंतर ४ति हने दादै उत्तरार स्मितातिसकं घरजम मलिनितारन मिर निम २२ या अमावा सेवा दनोवल बलसहित दिवदांव विद्याधर नरेश्वरसहित विश्व दतौ स्तवतोॐ म सिष्टावना नातागलो दिवस सिंह द्यापासाद मंदिर सा संध्या समे देवगृह बाहिर मि६ सिलाउ परिजाय बैठा ( गोतम समाधिमुति प्रतिक्र मणस्वाध्यायकरनितितलै प्रस्तावैचैत्य वो दवा निमत्त मित्र समागताध्नदयद