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________________ १९५ समी जानुस कि प्रध्ययननितिश च मारप्रकाप- परप्पा नं-ते कहईना नाम ग्रध्य ८. थापना द·ट्रमन सबु कोण प्रातित्रिप्रकार ई बर चन ध्ययनर ध्ययनभाव अध्ययन ४ सकिं तं चउछिन्नितिं जहां नाम सया गठवण दहन नानामग्रध्ययनमने थापना श्रध्ययनेन ना. ज्ञानक सरीर ते नाम श्रावश्यक थापना श्रावश्य करने पर ते जाणनो जावाजा जिस गिर्र भभविक शरिर ब. वक्ति र र्-द्रव्यायन पोथी नापनी पो ता उनि सयाग नारा उगया उजा बजाएगसरीरं भक्यि सरिरवर ि पालि प्यादी इतथा स-ए-द्रम ची बांधा धरलब्याब स·अथकी कोणतं ते भाभा प्र अध्ययन प परुप्पा चयापचयापाडयलितिएग्सनंदनक्षयाणास किं तं भागेर दुवि ते- तक हर बई श्रागमात 'नाश्रागमनही या आगमतेजा जाना लञ्जन उ· ग्स तेथाः श्रागमप उपयोगसरित पंन्न ते तंज हा आगम उद्यानाश्रागमउयागमउजा एए उवडाचा १२५
SR No.650032
Book TitleAnuyogadwara Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
Author
PublisherSujalpur
Publication Year1851
Total Pages412
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size168 MB
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