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पगडीभावजीवजीरब्यिसबभावाय१एसागाहानासयासतंभावस सन्तर स.समरनारई स-तेश उ उपक्षमा शत प्रथमबहार नि-निक्षा तिनी प्रकार पेपरण]
अर्थकिंकोग
तं-ते मियारामतंसामायारासत उवकामनासक्तिनियारविनिविही नेतकररबई उतताःसामान्यमायना ना.नामश्रतस्मएवंसावाय.सु-सत्ताबायकाकार नि-निष्प-पनि। दिकश्रुताभिधानातननिष्पन्न कवि शष्पानिधानं
मितिसामान्य क्षेपट स-तेश्र ,
त्यादिकविका लाततनहाउनियानयनामनिव्यान्नयसुतोलापयनिष्मान्तयम्सी इ.उाधकनिष्पनिझामारप्रका प्र.पर ले तेदेखाई अन्नधायन (अ.पीगारतिन नत अंतरति
पउ . ई व्या वई अक्षीण तश्राराम किंतउहनिष्यान्नरचब्धिहपन्नाततंजहा क्षयारणअशिएण्याय
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