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________________ १ पर्वतकतज्ञा । जेसु-सुनना उचली नन उप्रब्रत‍ (सुनरज्ञानन उषा सबइ बरं पदे सः परिचेतूननक अ वीजानइस अरथक हिना नि उपदेभ्य एवाणि पुरु श्री नाविधि क प्रकार उपदे गनादिय त्रुटि चारिवर रानि घाख उगो ॥ पत|| जस्त्रयना एरिस अह से समुहासा उगा प-पर्त किं किं०ं. पै.रात (उ. उपास स-सम्पूकप्रका श्री ज्ञान - वषा अनु ((गनर विवर ज्ञानूनो गावाच इतर उपदेसब पवनरकिंग पटिस उदासी समुहास गोय प-प्रूव किं- किं• अंगधी बाहिरउपा. उ.उपदेस स-सम्पर्क - श्राज्ञा बई - अनुयोग प्रत तर के गादिकश्रुततानन उपदेशाब कारे उपदेस तवषाणबर मा उत्तर किंगबाहिर अहासा समाहासामा उग्गा पर्वत - शिव शिष्यप्रति गुरुबोधाने विषेक ह्यागधकी वाहिरयगिउ उपोगादिक ना उपर पुत्र ज्ञाननिपाण उ. उपदेसादिक नवेली ४ सादिक ४ च्या बोलत पुचली ४ वउ इसवि अहासा ४ उग बाहिरस्सविशद्दामा ४ इमेपु
SR No.650032
Book TitleAnuyogadwara Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
Author
PublisherSujalpur
Publication Year1851
Total Pages412
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size168 MB
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