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सं.स्था मे बहरते जिगना से संधानरूपपरथकी मेघातन नो कारण काष्ट से योग नामेव्हण नराव काशवो.बि.विषमुक्त नामक हिरवर (तितेजपुरधार सरि बोस घातन नाम तथा पारि नामा दलनिपरस्परखेधननि परस्परम पदक निमा परादिकनि परि ऊहारिक शर नाही तो परस्परमेने विण्तरार
या संग बोंदिबंदसधाय विय्म साकरवाए शुभ नाम खा
नाता ३ धनादिकसा नार्यरत सुभा नियमन बशेष कर प्रतिमा रिदिमना न थी रबी०सीन सुमना शुभनामनामरनिवि रही संत सुभनाम)
रबी-सी की छोटी स्थान - सबको उच १६०
अंतराय य
शुभाशुभ नाम कविष्य माझे, रवी ए
गोन२६
अनामिनाम साध्येनी अगोचरति निगःयोगों एवं सयगये। सु सुभप्रसुभगोत्र विप्रयुक्त कारेश्वर वि राधे थकी गोत्रकर्म नेश यंत रायकर्म की नीपना से बात की उच्च गएरवी एणनीया भी गोरा गाए निगो एवं गग्गा एसभासभ वीसी की धोखानामा भवानी मठिये नो फोर व उएडनी प्रत राय उ.एक वारभो भोगवियाभरणस्त्रादिकवी रायकर्म ५। ६६ (नादिक-३३ प
गोविष्यमा रवी दार्नतरा एवं वाभाभाग उभागवीरीय