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________________ लसाविससाका डालता मंमुश्चि मधि दिय तिरिरकाजा लिया। असर युगाशालामा विशसमा दिया क पत्रवरण फालसा विससा दिया। पति मिनाम समुमि विदियतिरिक्का जाग याणं तिरस्का डा गिलाटा कष्ट) लेस्साएं जाव साधकताररहिता) अप्पा वागा जाएं वमेतदाइ हिंसाया सिसागशव के तियां विदियति रिकाडालिया) तिरिरको ए कष्टाल माणावक लस्साया कतार दता। पावासाat वाग झवक्क प्रतिशिकाऊ गिया। कालस्ता सुकालस्सा तिरिरका नागिणी उसंखे घराणा | पद्मा विक्कतियां चिंदिय अतिरिरकाजा यासारख पालस्तानतिरि काडासारखा लमसारखे या कानालसास। बालसमा सिसादि। या । कपालमा विससा दिया का अलस्तान सारव मरणानी लालसाड विसा कालसा विससादियाचारात सिया सात समुत्रिम विदियति रिकाका गि याज्ञवतिययंचिंदिया तरिका लिया । तिरिरका टिकट लिस्सा बाव कालस्साए या कतार दाता अप्पा वागा सच्चाखा वागशवकं तियतिरिक कालिया से कालस्मासु कालस्सा ति ली Jain Educa International
SR No.650030
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages558
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size250 MB
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