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________________ वाइयाँमात्र हसिया वापरात दप्प‌णारा साचात्समुचिमराडे सगात समासच विदापत्रांत गाय सिएमा दियागांत दिया पत्रायत्राएं हाइकुलाका डिजाणि पदम मस्तावताविमरका सालाइ दियसंसार वाजीच पावलावास किंतaa दिय संसारसमा घणी वयावरणाचरि दिय संसारस मालगाडaura [ग] विदागधिय) नियमवियमगसिक मतदापयोग कि हम कुछ हदा वायु गिराम किया होगा लुत्रा वित्तपरका ला दियेप्रशाद विपन्ना। सुकिलपा चिरियोग नागरागिवतवाभिरामा अशिव है। सारंगी विवित्तप रको देवदास मेरा तरिलीज मलता है। विद्या विद्युत बाए दिशाऊल विबुता पिगौलाक जलियांज पालो गामय की मग या वाणात पगारास। सुमिरण गातसमास इविदापा लहानंदा पत्रगायत विमा याचनारिदियापद्यत्रापद्यत्राएं। एावडा इकल (क) डालिए हसतसदस्माददेत्ता तिमरका) anaaरिदियसंसार समाजावावा। स किचिदियसंसारसमानानी mami विदियसंसारसमााजीवपणावरणाच विदा प्रणा
SR No.650030
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages558
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size250 MB
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