SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 278
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मिकि शिवराम [गा। सियच शिमा सियाराम गिरवरेजाबादमाणित गरइयाशाल पत्र' वाणापाचं शिमरो)। केि चरिमा अन् रिमा गरिमा विच रिमा दिवे शिवेतरक्षावावं मालिया पार रासोत यादाश्चाशमणं । किंच रािम च शिम)[ग]/ सिटयवशिम (सिट शिम एवं। जावावमा लिए ताहार वाशिम । कि वरिमाव रिम) (गरिमा रिमा दिए aमा। Maावच शिम एं॥ कि चरि मग सियाराम सिय पच शिमायवं गिरतरंड वावमाणि रयाग सात लाववाशिम) किरिमरिमागाच रिमा विशरमा वि।। एवं तिरंगावादमा शिया रसावरम -वाशिम)। किंद्याराम व शिमगा सिटाचाराम) सिया वशिमापवणि शतरंजावावमा लिए। एारा याला वाचमिण किये रिमा वरिमागाच माशावरिमाणतरावावमा णिरागधवाशिम कियाराम। चरिमा सि यच शमा सिचशिम एवागिश्वर कावावमा ३ या सात गंध व शिमरोगे। किंच रिमा चरिमा गा चरमाविवरमाविवेगिश्वरे नावासमा लिया गया ऐसे तिरसञ्च शिम॥ किंचशिमगा) १३८ Ja Educ brary.org
SR No.650030
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages558
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size250 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy