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________________ | गति से गतिमाहिगयो होर निदान उचाउ बोबाधेतेहने गति चरम कहा ॥ २॥ विता०तिनले हल उस उसे बताउ शतपादसिय सारवद्यादामागाट चरमस्ता दारयणलाल वस्सकाम अगलगायगा जावया ॥ जीवतातिचमिरा किंवशिमा) किचशिमा अशिम सियच शिमारायचच रिमे हर शाम सातगतिवाशिम एं)। किचशिम व शिमगा सियच शिम सियाच शिमणि तावामा ऐ यारा सातमतिवशिम किरा रिमारि॥गावारमाथि रिमा दिपवणिरंतर चावमा लिया। [निरगलात वित। चशिमगो । कि चरिमामय शिमगा सियचारामसिया च शिमा प पिश्तरडावादमा शिया पारइया नात तीचशिमो मरिचरिमा दिय चारमावि एवं शिरंतर शांतात तवयशिम कि वाशिमच शिमगा (से यच राम सिय अशिमाय गिरवरं जावावमाणि शरयाणामनवशिम किचरिमाडा चरिमागे) मरिमा विचारमा विवेदितरंना वावमा शिव शरण लेतामा राम कि वामाचारमागा। सियाराम सियाराम तरेनावादमा गएर इयानात लामाच शिमगा कि चरिमाय चरिमा गरिमादिञ्च रिमा दिएनएमी दिया गिरंनरे जावावमा लिया। (एराति प्राणापा लिया। For Private & Personal Use Only
SR No.650030
Book TitlePannavana Sutra
Original Sutra AuthorShyamacharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages558
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size250 MB
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