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________________ करकिरण तियान उपहा तिराकरी अंधकार जिगर ऊगताम्येन तेही कुंकुम खचित जरारा नाका बिम्बलो क जावलाक रातिघान विनास्पर तस्मय कर पहरा । पर व मिमश्रा र बालाय व कुकाम पंख चियामि वडीव अन्य उपई मर्यई सहरस्मिस दस किरणे दिनकर तियर तेजश्करी देदीप्यमानधकापल्येक वकी सहित एहवइ लाए । हियं मिम् (र | महम्मर समं मिदिराय । तय साजले तामयमिद्याउ निमामस्तपण पादप होताना चऊ तर नीचे उतरीन जिणिधान किव्यायामशाला श्रमशाला ति गिधा न किए उठी नश ΣΟ | पान या दाउ पो रुद्र इन त्रा । एक एवग्रहरणसाला ते वडवा व्यायामशालामा हेषबश्य मइइसी करीन अनेकये ये व्याया व्यायामश्रम गुणनिका वलगन मनिमित्र करि वायोग् गुणिव उऊल लिक । श्ररणसा अरण्य विम शिश्ता गवायाम जो गवगवा 2 आवश्य करीन अंग यंगर विष सती गइ धाकपराउने परियात व्यामर्दनमाह । युद्ध करण अंग तंग मामान्यां परिश्रातइमरू वातपाक महस्य पक्कि मुष्ट हवा नीच० अथवाम : माहेबाज मलने करी विशेषमल्ल - गइछा कपरेण पृथक (उटं काला गश्ते शतपाव नगंध सहित मण मल्ल कर रणदि मरता परिम्मत। मययागम हरमयारगदि। सुगंधतेः उप शानर सेयताभ्यवा महम्मद काल सपार्क स शास्तरविषप्रसिघ्नी मानधानुरशविषश्रप्तिकररणहार गनिन दर्शनीयबल नाकरण् सेहत पणिहार्दि लादिकेकरी प्रीणनीय यिसि म तिमि पिसे हिंदी "व्यदिवानी घृत कर पानीयप्रभुषाल व ती कार के क सवारी जी धनर उत्तेर लतेशत पर एक तमाशा वा S Sa
SR No.650029
Book TitleKalpa Sutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
Author
PublisherNagor
Publication Year1677
Total Pages234
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size100 MB
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