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________________ लाना भेद केल्यापदि तेहन उसमा प्रवरश्धान रतने करी प्रकषत्र कमलर विषशरह तयतनानंद करण शेष गम मेलापका त्यंत सोसायमान उ होती वरपरकारका पद्रीय घमंगलाल यस भागमा पररयणपरायेत कमल हियेयाँस सपकवतासम सोममीतेतील नाली मिश्र ऊजवा मौमा लक्ष्मी संघ निलने घर सर्व सघलायापरिवर्जितरहित कल्याणकारक मासान का दिसि विदि सिर विष लव करत प्रशस्त दावेदनउ सिवाकल्यापतिमिका देदीप्यमान मीना का विधा कामतों च चदीवयंती (मामलछा णित्तेला मद्यपाव परिवचियांमुतंना सुरी सि बाम श्री मान इदवई वस्त्र- तिरिणकरी वरश्रेष्ट देवशरण विर्यसंपदा एव कलम निवारण डीप वलीदे सूर्य तेद ने किरणे करी जगत विकस्याये सदश्रपत्र कमलती एकरी सुगंध झसरोवर ब अत्यंत पिंजरपात रिपुम कल से । ततो पुणेो र विकिरणतरुण बो दियस हस्मपत्र सुरक्षित ऊस असमराका यज्जयाणा यादजलचा तियान विरणकरी जलये माळलेमाम लोगवीन घक पाणी न उसमूहयेद महांत मे येहनउ राजीव समूह परिपूर्ण न दामे पिच सार स्तपाइल नउठ 'देदीप धुम्नकल से४३ पिंजरजलो जलचरपद व सर्व नानासुर हकर परिह बगम परिसुद्यमारण जल संचय महंत मानूनऊवर सूर्यविकासा बैध विका उत्पलनी रात कम ल धवल कमल यांनी उरुवि माल प्रमरतीक जाकरि कमल " सीकमल लकमल नेतामरस तेरी लुसती येश्री सोसावेदन उ सुगंध कम युष्फलेना जलं तमिवं । कमलऊवलय उप्पलता मरसा पुंकरी उरुम प्पमाण सिरि प्राय के वन विषर हा समुदयामार रमण कात्य रूपमा नावेदना प्रमुदित येनमरतियां नागण मातीमद मधुकरी नियांना गण तियाना तिपच महत्रयस्ली मालाबाद ममूद तिणिकरी तसली बड़ दवन समूह नायव सहित चमरी समूह उकरम चलि विदेष समुदया।र मिशिच रु व मोदपमुइय समर गणमत्रमय रिंगण करोल ब या पावनप्र a. कलम फलक पायाप्रामादम चिप सिमरप्री यहामि उ ठ महममूहकहिव
SR No.650029
Book TitleKalpa Sutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
Author
PublisherNagor
Publication Year1677
Total Pages234
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size100 MB
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