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________________ कायस्थ तिलवति काल तेही गया अनंतस्थानायादती लीमरीरमन संबंधायाम श्रीमादावी स्कालय को संसारका वितिकांतगमा सम्पक का रिज्योत उ (बेनिजरामरण जिराई माध बुधणद्या अ गर्वमहावीरका लगायविनिशन (समुझाया डिण्डजरामर साहबुद्दे कर्मयका भने दुधनई सर्वसतापरोहनपणा सगला ऽषधको रहित वेपनाम बीउ वस्म प्रतिवर्धनना कारण तकारक की परिनित ह नागनाम करण मुक्ता तगडापरिणिहु (डा मद्य पुरक पहाराचादनाम दाज्ञसेव करे। पातिव मा मासइ नंदिवर्धन नाम परय मुखताग्रिएह व नामते दिहामा नउउय समक के एक दिवस नउना भक रमाणं दिव६ [रण (एका सुच्चयग्गाणामास दिवसे उन सामन्त्रियिवुञ्ज ई । द वोरगंदा दिवानंदा नाम तेरा विनिरितिनामरा बिकेईएक कहर अर्चना मालवमुक्त प्राणनामास्तोक सिनाम रामं सारयण गिरि तित्रिए इलावा मुझे पार । धोएवं मिदेरणा एगकर सर्वाघसिदिनामामुरत स्वातिनष्पवईचंद्र मायोगि संयोग आवश्यकश्काल गनयता जाल गइ सग राम सिवामुज्तेमामा रणरकत्ते जोगमुबा गएका लगा। वितिक्कं लषषकी र हिना जिगिरा विश्वली" श्रमण लगवंत श्री महावीर काल गतआ जालग सर्व राजावसचरकप्पाही र जरयच समानगवं महावीर का लगते (जास षर दिवसा
SR No.650029
Book TitleKalpa Sutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
Author
PublisherNagor
Publication Year1677
Total Pages234
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size100 MB
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