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________________ जादि से करान नाउ जूद इन द लाडका सेते चारिचानः वन इन दाविला पूर्ववदिन मे सरारबरडात कर इतेक६ ब 05: दिनवा लेह वा ॥ उवहे ॥ आमा विरुवा या विकरा ॥ सेामेव नही सतना वयानः क०कोश्नखं सं०का करना०गृहस्वन नावाचानई सेवते साध सवितर डिरनलागुन याची लाजयलइन55: तंत ឆេង: सहित दिक मधवाः चटकानावर 53व दांत दो यह सीताव उगवता सूकवा इनदा प्रप ससर रकज्ञणंवा पलंव् ॥ कहंवा सक्कवा | जाएगीजाइना से तमा लिइन एक्ए कांतिस्वा न क जा०ला एकां प्र वः शा०रा मिकाएलनिकका जायगाइए बाते प्यं० वडिलान विव ई तमन्लाईन दू खाए। एगंतमवक्क्मेका । एगतमवक्कु मेज्ञा ॥ प्रदेद्यामनं निंसिवा (जाव जा० एसमलातिताकारतेय का सुनाइ ० ते स्वडिल शतिले बा२०ला पूजारन हरणा इष्टिका दिक‍काः वनर हवा गाइदिवश अप्रतरं सिवा तह युगा र सिघं मिलं सियहिले दिया२श पनि २
SR No.650018
Book TitleAcharanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages594
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size220 MB
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