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________________ शराए रान तिविन्ते करीन तक क सीप लोकायत 30 वलिपूएतल र डाइतिशिकार मार्ग 5.१० राधइक रानश्एतल प्रकार इकरा लाइब कदाचित मनेर मार्ग ते पि माग जातां शरीरब वीरजकरीन नवडतात साधुन उ किमकरश्ते विश्वकः ततया कार इ राराः म फविरम् का० सरीरः आचारावे वासक्के एवा ॥ से लिए वा ॥ नवैनिले सिया तदप्यगारका पोन्नाः ० नंतरहित लगिनी प्या०पोवन हास्निग्धू का लाया जानू पोवनका सरल सहिजहा स कायना र ४ प विलगि इमालगाइतेस मिका: १०२ वाकाथनव रजविलगिन १०१वीकारत वय करा. गोनदा दिजैस अवयव करा विज्ञ सिमलामो या ३३ इकरा तो मंतर हियाएपुढवा ॥ नो ससमिएपुढवा एनोविज्ञमता एसिला इते पादूकरा तथ्यनका विस चितले ब्ना दो वा बा कोदिक जावकरी सयुक्तः दा०का जाजिद बाहिरेतीली सडासहित स० आवा रस्ता 50 स्वायादिकजी नक व सहितः करान साझा दा नाचिज्ञमता एलूए ॥ कोलावास सिवा दारु एजीव१हिए | संप्रमेसपा जा० सं०कोला या डानावते लोकना वाणी० वारंवा संघसन को लिब्लूहइन मसलन हा ना नाल ते सहित परमसेनदा वस्वानक ३३ | ॥ जावसंता !॥ नोच्या मजेजवा नोपमजेछ्वा ॥ संलिदेऊ चा निवा
SR No.650018
Book TitleAcharanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages594
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size220 MB
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