SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 63
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विनादिका दान 33 पर लडते हे विंड वतानर्थतास्वछतेः निने २६ हामि निघाल उहनादिक तनुः ६० देवान दू हारनजविं विमाण्ये हाए से गाविं॥निखिमाएं येहाएगा। सपिंड जेन दनादिक ग्रविड न देनादिकमा डदेवतान या उसना स्वतःव फारम परजन पिंडे देवातान मनेरा थोड उवाच देवानी उज्ञास्त्र १०नी विडते हे तान रितेः पामतिवेन्देवान डदेवतान थी उसन तास्तंतेः ०देवतानमायत नइ इल इजात हे वान विमंदीरमाणं पेदा ए|गापिं मंदीरमाणं पेदाए ||| गायिकंप|ि|1||s जोगवा तो वे देवनई प्रवाहिक नाव या हारतेन वरिल विंड वतान पीडी सुनातेः प्र०यवरि वाजत उदेवायतनन विष विकु साउबाजत: दे०हेबान चाइ मापेदाए|| गायिनं । यरितुंमाएं पेहाए| गायिंमं पुष्पाहिज प्रसनादिक नविना मी गयाः प्र० हिल उनि हाजिहां की मायायल हामिले इगया अथवा परिविज्ञ माण्येहाए/रासीदिए । अवदारादिवा ww.library.ord
SR No.650018
Book TitleAcharanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages594
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size220 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy