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श्रीभगवंत माहावीरदेव समावमश्रा वारांगनाद्वितायत स्वं धनमपिंडे या सापाबतिम अंक इक कुनः इतिश्रीता तवं धूप मावंडे अर्ध सप्तादितः॥ ए४॥ एवं प्राकारले वानी विकाइते कई
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इतिश्री मध्यमनस्य्वनोद्दिशकः समाप्तः॥5
ज०म० स्वन *से ते साधनं प्राहारं १०३ घातार्थः लाजा०जा पाइसक६३ बई
चिंतुनायनासाजी दनादिकमादारनउपर ल
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* सनिस्क्वाश जावयविधेसमा | सेऊं राजाका गाविंनं
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