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________________ 21912 जाजा सेवते किं° पुष्aतसिहां म प० किस्करेतेक देबे जे तति गाण्गृहस्थसंव श्ले लि यह यह मा धिया एतनान म मिथरा तू साधु श्रावारी. राधाजासे किं तब्लोग्गदसि । एवोगादियं सि । जेत गादीव सफई पिष्कातरलीकृष्का सलीका तथा चानुपलविशेषपा नसो लीवर दानि गृहस्थ पती तेन नाग ma बेन्द्रेवा नीनह छपरा | गादाव६७झाला या पितरावा कर सोमवा रीश्मुष तंत एक अपवाहिरि जाज्ञाचीने लो मांगी ने लो If पेतानेनेज तो रा र द ेय्वातंत्र सोएगस्स च्या मिदा रिजा इसा मोत्र मादीमाही देण्ट्री वारंवार नदीये जो से०जेका रुपका ये कुरवोल दीना साधु दाइतो अदला इमाणे तीतेकर ने न्नमन्न सदेव अफ एक सयंकर पिऊं तिरुहु से तंमायारा सेप्तेसाधु (मापसे तेस इने उपाए brary.org
SR No.650018
Book TitleAcharanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages594
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size220 MB
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