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________________ बंधनकार तिले०एस शश बने-सा लছविडि उन्नवा वाक्यास क्लू मिशान से० साधति०) रा०चिताः विवि दिबई साध्वीः । कालव्याला हलना: आगरा. यागमे मिले दिया धारणास भूमीरा निरकवा २ एक वारिय वरदत्त सा | सलसल २०० सेन्ते सा तता हो : १० वेग लउस उ० उचा या सद पा कसला हू देजी। कः । लेवा उच्चारणासहिरेमाणे। येले वामेकवासेतग्यायल फसलत प्यावा. पंण्वक तकन कुन रुवदोषः प्रथवा:००गा० र सरीरला लूस से सवक masपाडा ए० ग्राम विरानात पडते | उनेराः जास जानेव दुबइ तलइ | मामा सेवा जीवका या कारहितकर इति णिकारलाइ संनमदिरा तिवसा न करनानाष्यितः। धुना कुइन नई वोका प्रहनिर छोदि (एस इन्ना४ |जे छामेव यन्न वायायं वा जाग्लू से मिटा जाव १०वतात विज्ञान / जेवले. १०० हिनउ वड तेहनकाल: १० ज्ञावं २२६ Sanelibrary.org
SR No.650018
Book TitleAcharanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages594
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size220 MB
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