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________________ तेन निरोधधिवत्र जदयात कुपन वजेको धराने दननविली करा निःकनकरिव माननाश कप क्विने दरवनिरोध जदयूप्राप्तका निमावि अर्थधनादिकक दिव ऋषिवर्ध= दय निराहोवा उदयपत्र सबा का हस्तनिफलीकरणं माणसुदयनिराधोवा उदययत्रस्त वाता निशामदन] विद्याला करण निः फल मायापर बंचनाते हनदास जया स्वप्ना मायाद्यरचनातेदन विद्यालीक लानवांबाय करिव कवचनादि कान काटि वादन] निरोध शिव- रानिः फलकस्वार चिना विद्यनवसदस्यास धक।।। सामविफती करणं मायानुदयभिसा हावा उदयमन्त्रस्तवा माथस्तविफलीकरण लहरसुंद कपनि वृद्धाननिरो वदव्यावदय ग्रायडेलानोबा रूपात नवविफलीकरण खेहपकघायनान्यतिशयानानां संवरि खतियोग संवि= निःशनकरिव परं श्वेतरश्न हा मनवचनकाया यासाधावा उदयपत्र रस वाला सम्स विफलीकरणं सत्रक साथ मिलायार सकिंत व्यापति से लानती विकार ने सन मननगव्यापार अर्थ जिवनेहन अतिश वचनयो नउ व्यापार दानवेति यस्य संवरिव जायपर्वसंवरिवस ॥ Hahaa कार जो गम मिसली एाया २ तिविहायात्रा तंज हा माओोगय मिमलाण या वयोग परिसलीग योग कायान उ व्यापार तेहनत के मनायो गमनमा रहन अतिशयस्यवं कालजेया मनन निशेधविवशल दरस्प संवरिवस ॥ संतानसंवरिवजं। मननज या काय ओगप कि संजीखया सकिंतमाष ग] मिसलीलया २ श्रकुशलम पतिसाधावा ऊ २६
SR No.650017
Book TitleUvavai Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKesharvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages211
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_aupapatik
File Size100 MB
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