SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 27
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चामतित्राय लिषाए केशरम नखरोमवाधनदा शरागर हितशरीर२ गाना धतरापोमांस रुधिर क मलसरीषवगंधय श्राहारता हारक है तोच विणकाम हाय श्राकाशंग म६श्राकाशगतस्तामा श्रा काशगत स्फटिकमय सिहासन पाहयावि का महित श्राकाशगत श्रागलिवाल २० डि होती कि रविवरइति हां कह बाया कर १२ प्रतियाब लिसा फलदीप अंधार जति चीर 53 जुवाल कर १२ घर मरणा कभूमिता गऊन १५ येोऊन आ मारेणशतल बाठ कराप्रमाऊं २६ सूका कारायशमहवस्मीता ऊपसमा गोमा मालपगस्तर १८ मा याशरूपर सफरिसन व रुमारा रसगंध स्पषि गट २ए बिऊं पास यह वामरवाऊ5 20 योऊन गाम कर स्व खाणा ससिलिया २१ रमागांधी साधाय बोलय रतेसाठा सगला नई श्रीपाय सालःवाय इप रिप मई २२ स्वामास मापित विरोधन समई २३ को अन्य दर्शना गर्व कर कदाचित निष्टष्टवनघाई २४ स्वामाडिहा विवरइडि हांडोप लगई ईतिन २५ मनुष्यति परस्परतिवयर ब्रांड 5 २३ मारिन अब 220 स्वचकनऊव 52 पर कनतिष्टित तथा 5 2 पुतिकृतया २ नामादिकता व पूर्वनिव्याधिट लक्ष्मतिशति मादलाएककाईइईतिन व २४ एवा तिशयऊा शिवा श्रघातित्रायाः संस्कारसहितवचनबे लिइ १ ऊंच रिबोज २ ग्रामाणवचतन बोलतान स्वरिबोल र४ बोलतोपशिक्षक पवन वोल६६ रागसहितसाधा बोल सूत्रानुसार वापरवचन विरोधः संवननासंदोटाला बाल ५२० सतिला हारन इमंदेह नऊपज अनेरा वादा घन पारिवा सपा क रिवाइवल व काधी व परातयन हा १२ सात लोग हार 23म हर विविन वा देवा का लाई चितव नबोलाइयो १४ श्रतिविस्तर करा मिल कर 24 आावादिकच सुविचास्तामिल तक हर १६५ आग लिपिक 20 बाबा कि अतिसार कर लाया सा उपदेवानाममके द निशाप 20 सहित अन सरह लारॐ 1 वघुपकारश्ते हत प्रतिविस्तस्क र ३२२पना निदा आप शातिवचन माहिनह १३
SR No.650017
Book TitleUvavai Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKesharvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages211
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_aupapatik
File Size100 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy