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________________ वाईट निर्यचमनुष्प गतिन विष्ष इवानक देवता नार का भागात उपजि तवासिद्दिग मनकि हांवला ਕਰਥੀ "ईमूत्र काय Jain Education International karw एनमः॥ दिवा श्रजिन पका लिवाइसमय वस करो सिरा अवशख्याद्योगपवार्तिकाराविषयी मलावन विद्यामित्य HD नमः राजकारण सर्वज्ञायतकालसमे पाप हवनामिनगरा जिहोकर रिधिकहतांसवनादि के करीसहि हर्षित लोकन नहीति हो बाहताती तास्तिमित निश्चल तयरहितधनधान्य गरना वहा पालामा गाहाचा रिद्धिसिमिधा मुइयंऊ तथा जनपद देर्शनी जो कानम तिम्रा व्याधकाहर करी नगरी 'हवनासयत घास देखतेाइम किक ही डांब होबा कहत ऊ एव य श्राइ एऊ एमपुरमा हलम् यस हस्ता ॐती शमेकदि गील ६कहता मनोज्ञा कर सीन इस निगम कुक्कुडनापोषण हारना शाबर तिकाइत हि पत्र कहता वीजवादियो को भी बजेन गरी सायन तहमा घाम जहां वीर बताओ हव किन विकिडल डप त्रास सीमा कुकुडामगा फुतीत हवाहि गोक उत्ताराम पानीतिशेष वमान घी ए वक० गाई एल गनर बोकमा दिकसून दाणा सांभ ऊ से जमीन इज वसा लिन नीति करी कलित्तव्याधाय नगरी अवसालिकं लिया ग्रामहिसं गोवलम पेलू For Private & Personal Use Only
SR No.650017
Book TitleUvavai Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKesharvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages211
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_aupapatik
File Size100 MB
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