SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 178
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तिगुरुमापारणा परिक्रम्यावेहुणा कालमरणनाव सरन लोइय आकसा पक्षको नियत कालमरण करी कृष्टताना रागदेवताना आदेश कराया विघ बारमत्र कल्यादवालाक की कोशिकालति पा लाइ दिवा पुरुषवेद पनि कंता काल मासिकाले किच्चा को एक सिगिए मादावसु दिवा.. पपात सतादेयता तिहां तेरेव जो केते बाबीसासामू रोयम वितिश्रा कंप का ता परलो किस्ता वितगवंतनी आसाना अने सर्वपूल कागत करदश को एक पोप में एक सारा निधना आराधक प्रतिमा कना ववत्रारातयति तहित सिंगती बाबी संसाराव माईती पत्रापराला करणाराह का मिसंतदेव ब १८ ब तेहऊपत्यका ग्रामयागर नगर निगम राजधीना भूलियाकार मित मलिदां मुख पाटण श्राश्रम त्रिवेत्यादि निव राजव नगर नावाज संबाध कनविषजे सिद्धांत ग्रीन या पांच के मजेशमगामाग राग र गिग मराय हा शिखडक व मामुपासम संबा हम मुसि नापना कहर व एकसमेनापजे नेमनेषक पुराना ने संदेहको एका साविक दिवा उसाराभावमता लवरणहार इमकदम जमालिममा वहा कहता सगुन एाई साधनले नारदादर सायकल मेमन मुसारा गावच मायका राजहमेशा नुसारीर माझ चारा दिजपत्रकाव गंगाचार्यमिता जाव पवान र सारमांक हेगे एह कातवंति तेज हो बऊरती वपादाचार सदा किरिया विरासिया गुप्तजी यसले कम सतिपददनक दिर तरूणी कर उक्लेनेतिकवके नांगर जोहरएसा विपरीतभतिमा असला ताप दरघनेोदनावनहारत्येकादिक कचुकनीए साहश्वरबंधन तलाक काटनादिकिया कसरामाद्यादृष्टा हाइकराम मियादातर होगाला सारी एप्रदकि भाव वहिया ] शचात सत्र पवयहिका केवलंवरिया विंग मित्र दिट्टी दिसावुनावणास A MONE SASSESSO 320kendist MEGA SUNDRIO
SR No.650017
Book TitleUvavai Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKesharvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages211
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_aupapatik
File Size100 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy