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नरकावनई नाका पाप ना तियेवयोनिना कपना पुरुष तिर्दधिजोनि रकलोग दिया करण्हारर्नर वेदनालय नापता था ना कमाई करपरिसर्प परिसर्व जातिनिर्यच
रा॥
विदा शिरा अरिहंता चवही बलादवा वासुदवा नरका निरखा तिरिएको पिश्रातिरिक
खाज लवर घलचर माता जिया पिता मनवदना देवताच्या निकाय ना बरदेवलोक कर्म सिद्धांत कुमक कर्मकाया मताप मारनविप्राणादि काश्मुरवस ॥ कारा॥ कबीरघटकाना बेधनानार दियाना धान का सिया । नानिले नमित यातजावन ना मिले। पिपी माया पिया रिस दवा दिवालाचा सिद्धा सिद्दी परिविद्या परिशिया त्रिपापाश्वा मृषावादनी श्रादाय जेवाचे मैकनविघयन लोलक राधन को धरासन करिव मानगर्वन प्रवंचनरूप नौ नवंबर बताना कारागृहमा दिक भिय्यावि निवबंबई। raaaa हार्दिकमेविते ब करिव ते माया रूपय रात देणावितिरूपशव्यऊदे ए मुसावाए यदिसादापरिग्राह किहि माया माया लाति ऊर्व मित्रा दासले श्र तधावला बरच होती व प्राणा] [तियात मृषावादन अपरिहारा श्रणदाव लेवान सालवाद न अपरिहास- मैद्यान विश्यसे वा नजपरिदा ॥ धनधान्या विकूनचे य क चेक रि हिंसा नवावर महाय रिहार ॥ परिहार
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अनानकर्मकानि नविय शतवेदन विवदनिति ॥
कर्मनाकारक चक्रेवल बसुदेव विष पक्व रूपपदवाना सोझा
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त्रिपाणाश्वायावरमा मुसावायावरमाण अदिमादारणावरमा मऊपणावरमाण परियहावरमाण जावराक्ष्य मिध्यादर्शन विपूरातन व देवि देवादि सर्वात विद्यमान सामादि सर्वावस्तु प्रमुख चित्र नया जय बता संसार सुवासकर्म लात काकोधादि कनक रूपल्पनविचिब बनता व वद्रुप परं बताना विद्यते न था। इस मनमानाबति संयमादिकसमस्या कीधा सुवा
कन्याग
आव मिठा देश पसन विशवाश सर्वच सितावं तित्रिवयति सजिता वंशात्रित्रियति मुविष्माक