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________________ रवि केना पर मकरवर्गनी कंडकच चर दिनविश्वास वानवाला सिरमान कुन विधईसमा स्पष्टव्यय करनई श्रममा कारा पंधान निदविवाद तिवा मित्र विशेषता यथाधकी केवनानीका नकदी से काल लालरावचनईर करिव गरनी। तिच्यातरान राशन शांतीर (क) बलि घासखंड सिस्मार अरविशमाए काठवहिवार सिरसमा रमाए श्रममरालाए अमम्म समतामुलन सवरनव संतियात संयोगमेलायक स्वयंजनादि सर्वलघानगर मिणी जेवा सरस्वताना वाणा व्ोजन गामिनी योजनल गाजेबाबर शिदांब "केकरासी कती मिलती। परषदाने सर्व सरावामनलपर तव ॥ लाए सरकार शिवाभ्याए पुष्परत्राएं सहता सापुगामिणीए सरस्सर इए ओोयरा पी हारिणा सार मगधदेशना नाशय जेल गाबो लिवइबर नारदं नियमतराषश्तेशाम सर्वलो कसलाना यार्यमा देशना करनाार्थनार्थ ज्ञान काम नार जिसका शामिक रिटाइत्यादिकलक नशनधर्मकयातक वसणारा दशना कपातेनायी बिना दितपण धर्मकल ताई माग तथा कादियर निष हमगहाए तो साएशासति श्ररिधम्मंपरिकार तसिंसाधनं चायरिभ्रम पारिश्राएं अमिलायध तलगतमा चरा नागधीना या विद्योसिंगलानानना यापायानाथा योताना लाया करी परिणाम या पण स्वलाया होता नाना घाघका परिणाम दशनीकमान ॥ मामाइस्कति सावियहमागदाता साति सिंशाधसिं चायरियमणारियां श्रप्पणीस तासाए प इस बा थालोक पंचास्त्रिलोकतिधाकाशमानाला हि मन मोरुकर्मन अतिकर्म मानकर्मात रूपाशवि तब बिनावरू नाशपते श्रारख मयबजेत कायम ब पावशा रिणमति वंहा अशिलाए खिलाए एवं जावा श्रमावा बंध मेटिक में पाव श्राभाव संवा तिम्रा क
SR No.650017
Book TitleUvavai Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKesharvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages211
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_aupapatik
File Size100 MB
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