SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 787
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ति मासदिय दाउया सत मनू गोयत उदन्तानामाननये सत्यमिषचेनि बी याता वालातस्य सिद्दिग को त नरश्याता बिक एसर्व षामायु बाषान ६ इति स्वप्रम ती इति क ॥ समा सम्पक्का द ग्मिभाऽष्टेः विनं चैतत्प्रागेवेति anandataयम्पदामा मन तारावयन्त्रानोत निरतिपावकमा मनाचा दिति ज्ञाता मानगति एवं पदम् दितिया लंगा सालाम्म सातारा वापरात तिपणाक धिका कानवाचे क उच्च सम्मान मदिधा अच्चा पदम वितिया लंगा एवंखलभवनपट म दितिया लंगा / नवरसमा मिनं मग जागा लिपिया तीर बोया नावातून वाडामा नवि पायकमारा गां/विदियातं दिय। चरिदिया| दयाजा गानां मासाद नावे नापयत्रि का नानतिपचिदिद्यतिरिकाजा पिटया पिसंमामि दिनाएं विलंगनाएं | माजगाव जो स्ठायामेवातिर ॥ समन्तत्यादिगा दगा गिता मिलन तिमि स्माद्याला संमा मित्र मनाएगा यु बो परिकलना दिलंगनामाना सोना वायदे दमकमा थिम जागविशजाग नागिइत्यतः सर्व नवे कार संपदा मिलति वाणमंतराजा तिसियरमा पियाग ऊ दाने रतिया तादव तिवा यांन वाकयासम्म वितति माह सिंडा सिसायास मदितिया लगाए गिदिया aausa तदनंतरच गुथादिनिः पतियालंगा ऊदायाचा एवंना मारण विदंडा यवागावांत रातिपदे पाचायत स यति-युगणनांतनेरतिपञ्चाश्यंक में किस गावेधानतिविधिम्म तिमाल सोसत धर्वतः सम - द्वितीयवजी नंगान नितृतीय शत दि.1 च प तदा देवता प्रतीता वाचः पुनः एवं यदा मनुष्ये बघायुः सो सम्पका दिन निद्यतनवानाध पुनःपि मगुस्सा जहाजावा पतिविशेषमाह । नूनरें दिसम्म सामान्यज्ञानापि वसु पादशमष्याद्वितीयावहा अपनी विनाधिती नानावनादिपवेद्रीय विविदव सैय शतक २६।३१ समाज्ञः ॥ श्रथमनत्रर्थः ॥ मनवः प्रधमन्त्र लक्षयाक्षिकपदे । श्रमः टतीयो।क काहि तप
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy