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________________ समनविन य. प्रत्रात्र मन विनय कम्र्मषय नगaaaaaa डिममा द गाथा मस्मा (mairaam / सादियालीस ति विदे पाते। श्रश्ता ) अच्चा सादा यार तपननम्म धम्मश्रण प्रवारण घामादाय आयरिया ए आम चासा दाग या उपायाद्या सादा या घराचामादायाकल सादायां गणस्स वा मायायामं धम्माचामायणथा। किरियापश्राणञ्चामादाग - सामा यास लागण घासायला दियना सांध्याचा सादा याजा वाकवलना सादगाथा | पप सिंचेव निव ऊमा 100 सिंदेवपसंऊणया (सेतंत्र haattaamukattataण पंचादिदेयत न्यायवातिष् विस रिहंता दि १५नी चाशात नानउटा लिवउह मानकि· बाद बऊमान रे तिष्एए सिं चिन० एहन श्वर्ण संजनया सद्भूतगुणनवेशय दीपा डिवि वायगावनयनेद !! धुनिहनाचासा क्रिया० परलोक बाब मुक्रिपदवी रूप रूपजा ए वी हिन सामाचारीता तालिव 318418 बघ की कोधादि एामायणाय दिसतं ए. कार्यिादि सामातिचरिहरका चरित्र सतिमाणविणारा म25 क्रियारहित विदोषतोपसमयि अणसभा विपय । (सकिंग सरसविन तं किसे या पावसाशक किरियां तिरुक्काम वकार व विकार अन्तया निमकारण / सतंपस म एशियाकितं श्रेणसचमण दिए अपर सत्रह पति पासावाजा सकिरिए। सभाका स विकार आप एक नशज देध की चाया संघापाप वाकूप्रवर्तन रूपा वागू विनयः पापति एवं चानपि नियानिसको जकात प्राणान अनि संका जयन लगता) का दि - एव करे० प्रा तिपाता दिखा कर पारहित ५६६
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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