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________________ एनल का लिपि नजानुका कारण कारण प्रावत्र काल घा पर्याप्रावश्इंनाला उडात पतला प्रतिस्रक घाल करीना पनि निरंतर सदानग्रहणात्कार घिो डनकाल लागता द्वार हरफल सका नगवतीस. as एककाल घोडा मणि दिक्षितकाल स्त्रनिशिया बियांपाजलपरियाहशिएवंावाणापाड फल करता पाउन परिवाहायस्मणं नातं डेरा लिए उग्रलपरियह निछत्र एणा का लस्त विवचियापाअलावा धूलानिया इंक पालपरियह दिन का लम्मको यार कथार दिताजा शिसमा दिया वागा जणघाई निणिकार णिमासाद्यावकमा अलप यहनियत्रणा कालतियाँ। प्रलपरियड निघत्रणाकाले नाहिमन शांता (रा लियणाला रियहनिघत कलश। श्रणा। काराणि शतेजाज 35 परावल काल पामग उदारिकन आपका ३५) लावा डा जय गुण् डाजयहवाशक्तल सो स्वासिन 3 के काज ग्रहवा । तथापि पापाड़ वध बिर्याणा अलप वंशात बियाणास ॥ उदारि कनाडा लिहि स्वामिनः लपरियहनत्रणा का ताप॥ सिलोतरा लियाञ्जलपरियहागडा स्कूल एककान, इधे रिया पायं कथारकय रक्षिता जाव सिसा दिया था। [गा (सवाचावा घातपा गुण मग पानांत आपल हणून तगुण। उरा लिया। अतगुणतया पातयुग कमतरण।। सवेनात रवर्तकाल त्रिलगाववदर राय गर्दा वगवेवदासी) अहलोतपाणातिवाण/खसा वातादिमा 17 जलावर्तकालानंत गुण) यद्यपि वा काल मननी आता हा घलान । द्वित्रियान त ऊ त प्रापि वा कानाखजला तिहिं पांढरवचन धूलब शेत कारण तिपादश्वकिय राव का तन ढकारण विक्रियाकाल काल इलाज कार लिए मन अनंतगुरू) यद्यि स्वासो स्वास नाई ३०० लभदारिकमम सूक्ष्म 3500 लेख
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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