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________________ नचिएको विना रक चवमानस्य मदारिकपुजलय नावांतू इति गतिय सूत्र डंडगा जति एक कायक नारकादिताः सतति । अदारिकादिसविल विषयचा सप्त दंड काच उशि तेलुका न वेति । एकचपृष्ठ दष्ठु का नां कार्य विभाषाः एष चद ए के पुरस्कृतपुल परावतः कस्पर्ग पनसे ति जीवसम्पश्रवणा तू ति एवंजावमा यस्ता पाऊल परिहारात पगतियां सन्तदंदगान विशनर नियागानंते कवतिया उंगलियांपाजलपरियां श्रतीताणंता कवतिया अररकडा आता एवं जावावमाणि या दोन विपालपरियहादि। एवंाणापण प्रापाअलपरियह। विमा गिया एanu दत्रियामनी संगम लोतान र तियस्मातर तियात्रा करतियाउरा लि योपालपरियांतीयानगियाका वि कवतियारका विपाकाशिगामग स्मणलातान रतिया खरकमाशता कर तियानुरालियापाअलग रियहा प चवावधगियक्रमाशतजदा खरकमा शत्रणाम मनातनरतियस्त्रप्रदधिका श्यात कवतिया उरालिया पाजलपरियायती यांत कवतिया जाररकड।। कस्म श्य विक नवजाग का वा दावा | तिनिया | अक्का सा साखा वा अमोखावा ।। नावा एवंजा वमपुरमात्र वा एमंत राजा तिसिया । वमा मियादा प्रखर ऊमात्र गामगा शोलते अखरऊमा रेसा नेर तियत्ते के द तियांग लिर्यापाजलपरियह। एवंजदा निरतियावत्तद्ययान ि
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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