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राम• हिंग्वादिनिःस्कृत वातू विद्यमान रासः विरसः पुरावातू विगतरासः
रसतयावन्पावात्रान
वस्त्र का दिन पनि हितिः एजुक्ता वात्रायाच्चनयषिताचन वा प्रकार्य वा प्रातः छूटे हि साक्षः॥६॥ बदिल्पः काला के ते हि。प्राक्षा का
सापक
गारसात हिंमहिंसपरिवाद्वाडद्विवरमाए। गामा गाम इतिक्रमण गावाकापचे वितरण गदा पडिवं मिटत नामांत सामान वितिः । सोप्या साखमा विरात्समा नगरं महाथीरामदा कदा शिवाड छिचरमा गाव सुदखाणां विरमाण व चंपा । गरीवनाददेतिपातिवाद परुिग्रगगष्टति यश संजामांत । वसाला माणविदरति ताता तस्मा लिम्मश्रण गारस्मात दिखर से दिविंशम दि. प्रांत दिया पति दियवाद।। दिया दिये कॉला तिकांत दिया प्रमाणात कात दिवसीय दिपा लाया दिया। दाकदा यसरी रगं मि। विशलारा गातीका ले विजलेपगा दे। कैामचंद्र यतिबेडरु पत्रकारपरिगतमा दादव के निर्णय विविदरश वातणाम जमाली अणगाराव दाणा अतिनूपसमा समाग्रिहर वति संशयवंददासवाणं दिवाणु याममासका संघा रंगसंघरणातसमा शिघाऊमा लिगारस्त्र पतमहं दिए। झग का हा तिल हव यावद। विद्याल नगमित नानूपमनः प्रकृति कानू अनयतिजयतिशतविक क्कीज्ञानिष्टयः दाहो का उत्यन्नायासोदा है कशः ॥
उजल • तिमाहिल गार करत घनधी व उल सकल काय व्याप
कचातू गाढक
हति
कक्कुसे• कूक व्यव
कहए• कड्डुक नागरा दितत्वयः स
निष्टएव इति चं ड. रोश: 5 रक05:
खदेडामा• कष्ट तिमी
निकालें बादिप्र व्यंत वक्तव्यः॥कि वनवति रहिस